उम्र शरीर की होती है जनाब, मन कहाँ सोलह और पचपन के फेर में पड़ता है। उम्र शरीर की होती है जनाब, मन कहाँ सोलह और पचपन के फेर में पड़ता है।
मां कहती है मैं थी नटखट। भोली सूरत तेज़ दिमाग। मां कहती है मैं थी नटखट। भोली सूरत तेज़ दिमाग।
मेरा मन मेरे बचपन में आज याद किया है पूरे इक्यावन में।। मेरा मन मेरे बचपन में आज याद किया है पूरे इक्यावन में।।
काश..बचपन शीघ्र उछलता कूदता हुआ माँ की गोद में वापस लौट आता! काश..बचपन शीघ्र उछलता कूदता हुआ माँ की गोद में वापस लौट आता!
रह रह कर याद आती है उलटी सीधी बातें ए बचपन कैसे भूलूँ तेरी खट्टी मीठी यादें ! रह रह कर याद आती है उलटी सीधी बातें ए बचपन कैसे भूलूँ तेरी खट्टी मीठी यादें ...
आओ चलो बच्चे बन जाएं वो भी क्या बचपन के दिन थे! आओ चलो बच्चे बन जाएं वो भी क्या बचपन के दिन थे!